हिन्दी दिवस
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हम क्यों हिन्दी दिवस मनायें
हम सब हिन्दी वर्ष मनायें
हिन्दी तो सांसों में घुली है
इसको जन जन तक पहुँचायें
हम क्यों हिन्दी दिवस मनायें
तन है हिन्दी, मन है हिन्दी
जीवन को अर्पण है हिन्दी
हिन्दी है मातृत्व की भाषा
अंग्रेजी दासत्व की भाषा
सहनशीलता की है भाषा
हम सब की है ये अभिलाषा
इसमें बस है करुणा भाईचारा
हम सबका अब हो ये नारा
विश्व में इसका मान बढ़ायें
जीवन में हिन्दी अपनायें
प्रेम बढ़ाती है ये भाषा
सबको गले लगाती भाषा
वीरों का मान बढ़ाती भाषा
ये है भारत जननी की भाषा
हम सबको भाती हिन्दी भाषा
सबके दिलों में बसती भाषा
सबका विस्वास बढ़ाती भाषा
सबसे शुद्ध सरल है भाषा
प्रेम से रहना हमें सिखाती
सबको गले लगाती भाषा
साधू, सन्तों की है ये भाषा
ऋश्रि, मुनि देवों की भाषा
हम सब हिन्दी को अपनायें
अंग्रेजी को दूर भगायें
पथिक की भी है ये अभिलाषा
भारत में हो हिन्दी भाषा
आओ हम ये शपथ उठायें
केवल हिन्दी को अपनायें
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Sep-2022 08:50 PM
बहुत ही सुंदर सृजन,,,, ये कविता repeat हो गई है शायद
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आँचल सोनी 'हिया'
14-Sep-2022 07:56 PM
Achha likha h
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Raziya bano
13-Sep-2022 10:49 PM
Nice
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